हमारी यात्रा
सम्पूर्ण विश्व में महाराजा अग्रसेन के गौरवशाली इतिहास का प्रचार प्रसार अवं समस्त अग्रबंधुओं का एक संगठन खड़ा करने के उद्देष्य से अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की स्थापना 1975 में की गइ |
सम्मेलन के प्रयासों से भारत सरकार द्वारा 24 सितम्बर 1976 को महाराजा अग्रसेन पर 80,00,000 डाकटिकट जारी किया गया। इसके साथ ही भारत सरकार के फिल्म डिविजन द्वारा महाराजा अग्रसेन के जीवन एवं इतिहास पर आधारित डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई गई जिसका प्रसारण विभिन्न अवसरों पर किया गया।
आज से 42 वर्ष पूर्व तक महाराजा अग्रसेन एवं उग्रसेन में अधिकांश को कोई अंतर भी नहीं पता था, दोनो को एक ही मानते थे। महाराजा अग्रसेन जयंती का आयोजन इक्का दुक्का स्थानों पर ही होता था। लेकिन सम्मेलन के प्रयासों से आज सम्पूर्ण देश में विभिन्न शहरों-कसबों में आज महाराजा अग्रसेन जयंती बड़ी धूम धाम से मनाई जा रही है। अब तो आलम यह है कि बडे़-बड़े स्टेडियमों में लाखों लोगों की उपस्थिति में महाराजा अग्रसेन जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है और देश मे लगभग 50 हजार स्थानों पर महाराजा अग्रसेन जयंती मनने लगी है। और यह उत्सव एक दिन नही बल्कि पूरे सप्ताह, पखवाड़ा एवं कई स्थानों पर तो महीने भर बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।
सम्मेलन द्वारा किए गए सतत् प्रयासों का ही परिणाम है कि आज देश के कुछ राज्यों के स्कूली पाठ्यक्रमों में महाराजा अग्रसेन पर पाठ किसी न किसी स्वरूप में अवश्य सम्मिलित है। इसके माध्यम से महाराजा अग्रसेन के जीवन के बारे में जानने को अवसर विद्या£थयों को प्राप्त हो रहा है एवं महाराजा अग्रसेन का नाम उनके मन मस्तिष्क पर हमेशा के लिए अंकित हो जाता है।
समेल्लन के प्रयासों से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 ( वर्तमान में संख्या ९) का नामकरण महाराजा अग्रसेन के नाम पर रखा गया है जो दिल्ली से अग्रोहा होते हुए पाकिस्तान सिमा तक जाता है । समेल्लन की प्रेणा एवं प्रयासों का ही परिणाम है कि आज देश के प्रतियेक शहर एवं कस्बे में महाराजा अग्रसेन भवन, महाराजा अग्रसेन अस्पताल, महाराजा अग्रसेन स्कूल, महाराजा अग्रसेन कॉलेज एवं महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यायल का नाम देखने एवं सुनने को मिल रहा है।
भारत सरकार द्वारा एक विशाल मालवाहक जहाज (जिसकी लागत लगभग 350 करोड़ रूपये है) दक्षिण कोरिया से खरीदा गया। अग्रवाल सम्मेलन के प्रयासों से इस समुंद्री जहाज का नाम महाराजा अग्रसेन ने के नाम पर रखा गया। इस जहाज का उपयोग आज भी खाडी़ देशों से तेल लाने में किया जाता है। सम्मेलन के तत्कालीन अध्यक्ष श्री बनारसी दास गुप्ता के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल उस समारोह में सम्मिलित हुआ जिसमे इस जहाज का नामकरण किया गया एवं दक्षिण कोरिया सरकार द्वारा इसे भारत सरकार को सुपुर्द किया गया। यह जलपोत आज भी जहाँ भी जाता है पूरी दिनिया में महाराजा अग्रसेन जी के नाम व उनके सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करता है।
सम्मेलन द्वारा अग्रवाल युवक-युवतियों का परिचय सम्मेलन एवं सामूहिक विवाह आयोजित करने की परम्परा प्रारम्भ की गई जो आज पूरे देश में बहुत ही लोकप्रिय है। आज निरन्तर अनेक स्थानों पर परिचय सम्मेलन एवं सामूहिक विवाह आयोजित किए जा रहे है जिससे उपयुक्त वर-वधू तलाश करने में लोगों को काफी सुविधा मिल रही है। जहाँ तक सामूहिक विवाह का प्रश्न है उसका आयोजन अग्रवाल समाज द्वारा किया जाता है लेकिन उसका लाभ समाज के सभी वर्ग के युवक-युवतियों को अपना विवाह करवाने में मिल रहा है जिसकी जितनी भी प्रसंशा की जाए कम होगी। सम्मेलन द्वारा विवाह में होने वाली फिजूल खर्चों को रोकने के लिए भी जागरूकता लाने का प्रयास निरन्तर किया जा रहा है जिसके परिणाम भी दिखाई देने लगे है। अग्रोहा शक्तिपीठ, अग्रोहा में भी युवक युवतियों का विवाह निःशुल्क आयोजित करने की व्यवस्था की गई है।
समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से सम्मेलन द्वारा अग्रसेन फाउंडेशन की स्थापना की गई है जिसके अन्र्तगत समाज से 500 करोड़ रूपये की धनराशि एकत्र कर एक विशाल कोष बनाने की योजना है, जिससे अनाथ बच्चों की शिक्षा, योग्य गरीब बच्चों की उच्च शिक्षा, कैंसर, किडनी, हृदय, ब्रेन ट्यूमर जैसी गम्भीर बीमारियों का इलाज कराने में असमर्थ लोगों की मदद एवं अग्रोहा को शक्तिपीठ के रूप में विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। फाउंडेशन द्वारा महाराजा अग्रसेन राष्ट्रीय राजमार्ग पर अग्रोहा में 10 एकड़ जमीन पर अग्रोहा शक्तिपीठ का निर्माण किया जा रहा है। यहाँ भगवान अग्रसेन एवं माँ माधवी का विशाल मंदिर बनाया गया है जहां पूजा अर्चना करने के बाद लोगों को मुहमांगी मुरादें मिल रही हैं। परिणाम यह है कि यहां प्रायः अग्रबंधुओ द्वारा सवामनी प्रसाद एंव 56 भोग भंडारे का आयोजन अपनी मुरादें पूरी होने के उपलक्ष्य में किया जा रहा है। देश के 28 अग्रमहापुरूषों की मूर्तियाँ स्थापित कर यहां अग्रविभूति स्मारक बनाया गया है, जिसका शुभारम्भ हरियाणा के राज्यपाल माननीय श्री कप्तान सिंह सोलंकी के करकमलों द्वारा किया गया। अग्रविभूति स्मारक में 300 महापुरूषों का चित्र भी लगाया गया है जिन्होने अग्रवंश के इतिहास में अपने योगदान से चार-चांद लगाए है। इसी वर्ष यहां अग्रसरोवर का शुभारम्भ भी माननीय श्री कप्तान सिंह सोलंकी के करकमलों द्वारा किया गया जिसमें देश के 118 तीर्थों का पवित्र जल मिलाया गया है। आज यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में अग्रबंधु स्नान करने के बाद अपने पितरों के तर्पण के लिए हवन-पूजन कर रहे है। फाउंडेशन द्वारा अग्रोहा शक्तिपीठ में 54 कमरों की अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त अतिथि भवन ;धर्मशालाद्ध सफलतापूर्वक चलाई जा रही है जिससे अग्रोहा आने वाले तीर्थयात्रियों को आवास एवं भोजन की सुविधा प्रदान की जा सके। यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 54 कमरों की ही एक और धर्मशाला भी शीघ्र बनाने की योजना हैं। फाउंडेशन द्वारा शक्तिपीठ में माँ माधवी अन्न क्षेत्र का भी संचालन किया जा रहा है जिसके माध्यम से अग्रोहा शक्तिपीठ आने वाले यात्रियांे एवं अग्रोहा मेडिकल कालेज में इलाज कराने वाले गरीबों के परिजनों को निःशुल्क भोजन प्रदान किया जा रहा है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगों को माँ माधवी अन्नक्षेत्र के माध्यम से भोजन प्राप्त हो रहा है। अग्रोहा शक्तिपीठ का भव्य स्वागत द्वार भगवान सूर्य नारायण के सात घोड़ों से युक्त रथ के रूप में बनाया गया है जो महाराजा अग्रसेन राजमार्ग से गुजरने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन चुका है। अग्रोहा शक्तिपीठ में एक विशाल ऑडिटोरियम एवं संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है जिसमे वहां आने वाले लोगो को महाराजा अग्रसेन के जीवन से जुड़े दस्तावेजों एवं वस्तुओं को देखने तथा अध्ययन करने का अवसर प्राप्त हो सके। आने वाले समय में अग्रोहा शक्तिपीठ महाराजा अग्रेसन के जीवन पर शोध करने वाले लोगों के लिए आकर्षण का प्रमुख केन्द्र बनेगा। अग्रोहा फाउंडेशन की टंस्टीशिप सहयोग राशि एक लाख रूपये, सरंक्षक टंस्टीशिप सहयोग राशि 11 लाख रूपये एवं बोर्ड आफ टंस्टीशिप सहयोग राशि 51 लाख रूपये है। इसके अलावा देश के प्रत्येक अग्रवाल परिवार का सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से एक ईंट का सहयोग लेने ; 500 रूपये की हुंडीद्ध की भी योजना क्रियान्वित की जा रही है। सम्मेलन का प्रयास है कि कम से कम एक करोड़ हुंडी का सहयोग एक करोड़ परिवारों से जुटाया जाए जिससे प्रत्येक अग्रबंधु अग्रोहा शक्तिपीठ से अपने आप को जोड़ सकें।
सम्मेलन द्वारा पूरे देश में भगवान अग्रसेन जी के सिद्धांतों एवं आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से पहली आतंकवाद के खिलाफ सद्भावना रथ यात्रा वर्ष 2003 में निकाली गई। पूर्व उपप्रधान मंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी द्वारा इस रथ यात्रा को हरी झंडी दिखाकर 17 फरवरी 2003 को रवाना किया गया। इस रथ यात्रा ने देश के कोने-कोने में शांति एवं सद्धभावना का संदेश देने का काम किया। इस रथ यात्रा को सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका स्वागत विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा किया गया। इस रथ यात्रा के आयोजन के सूत्रधार श्री राधेश्याम गोयल एंव श्री गोपाल शरण गर्ग थे। दूसरी रथ यात्रा पुनः श्री गोपाल शरण गर्ग के नेतृत्व में 5 अप्रैल 2015 से प्रारम्भ हुई जिसने पूर देश मे 18 महीनों तक भ्रमण किया। इस रथयात्रा को अग्र-विभूति स्मारक (अग्रोहा शक्तिपीठ) से अग्र-भागवत कथा के भव्य एवं विशाल आयोजन के बाद रवाना किया गया, जिसका पूरे देश में जोरदार स्वागत हुआ। इस रथ यात्रा ने पूरे देश में 1 लाख 61 हजार किलोमीटर की यात्रा की एवं अग्र-बंधुओं में भारी उत्साह एवं उल्लास का संचार किया। इस रथ यात्रा के माध्यम से समाज को संदेश दिया गया कि कलयुग का मूल ग्रंथ अग्र-भागवत है और इसके माध्यम से भगवान अग्रसेन के आदर्शों को अपना कर ही पूरे विश्व में शांति एवं सद्भावना का वातावरण विकसित किया जा सकता है। हिंसा, आतंक एवं युद्ध से किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता इसीलिए भगवान श्री अग्रसेन ने अपने राज्य में रहने वाले प्रत्येक परिवार के लिए मकान एवं रोजगार देने की व्यवस्था सुनिश्चित की थी। भगवान श्री अग्रसेन के दिखाए मार्ग पर चलते हुए आज भी अग्रवाल समाज द्वारा देश के कोने-कोने में विद्यालय, कालेज, हस्पताल, धर्मशाला इत्यादि का संचालन किया जा रहा है जिससे समाज के कमजोर वर्ग के लोग भी लाभन्वित हो रहे है। ऐसे कार्यों से समाज में विद्यमान अमीरी एवं गरीबी की खाई को भरने का काम अग्रबंधुओं द्वारा सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
समाज में महाराज अग्रसेन की पहचान एक राजा के रूप में है जबकि वास्तविकता यह है कि महाराजा अग्रसेन कलियुग के अवतारी पुरूष हैं एवं साक्षात भगवान के स्वरूप हैं। इसलिए उनको महाराजा अग्रसेन के साथ-साथ भगवान अग्रसेन कहना अधिक उपयुक्त है। इसके लिए आवश्यक है कि समाज में भगवान अग्रसेन के जीवन के अवतारी स्वरूप को प्रतिष्ठित किया जाए। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए सम्मेलन द्वारा अग्रभागवत कथा के आयोजन की परम्परा प्रारम्भ की गई। पहली अग्रभागवत कथा अग्रोहा में आयोजित की गई जिसको सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्र1⁄4ालु भक्तं जुटे एवं कलश शोभायात्रा निकाली गई। जब से लेकर आज तक अनगिनत स्थानों पर अग्रभागवत कथा का आयोजन सफलतापूर्वक किया जा चुका है। अग्रभागवत कथा सुनाने वाले विद्वान आचार्यों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है जिनके द्वारा संगीतमय कथा प्रस्तुत की जाती है। इस कथा को सुनकर सभी लोगों का मन एवं हृदय आनंद से भर जाता है। इस कथा को सुनने के बाद स्पष्ट होता है कि भगवान अग्रसेन ने किस प्रकार हिंसा एवं पशु बलि का विरोध करते हुए व क्षत्रिय वंश का त्याग करते हुए अग्रवंश की स्थापना की। अपनी प्रजा के सुखमय जीवन के लिए कठोर तपस्या की एवं इस बात को सुनिश्चित किया कि उनके राज्य में कोई भी व्यक्ति रोटी कपड़ा एवं मकान जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित न रहे। इस कथा को सुनने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मन एवं हृदय में भगवान अग्रसेन का अवतारी स्वरूप हमेशा-हमेशा के लिए विद्यमान हो जाता है। इसलिए प्रत्येक अग्रबंधु को जीवन में एक बार अग्रभागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। सम्मेलन का प्रयास है कि जिस प्रकार आज महाराजा अग्रसेन जयंती गांव-गांव, शहर-शहर में आयोजित की जा रही है, उसी प्रकार अग्रभागवत कथा का आयोजन भी प्रत्येक अग्रवाल संस्था एवं प्रत्येक धर्मप्रेमी बंधुओं द्वारा वर्ष में एक बार अवश्य किया जाये। सम्मेलन का प्रयास तेजी से सफल हो रहा है।
सम्मेलन का प्रयास है कि अग्रबंधु साल में केवल एक बार महाराजा अग्रसेन जयंती के नाम पर एकत्र होने की बजाय कम से कम महीने में एक बार भगवान अग्रसेन के नाम पर एकत्र हों जिससे समाज में भगवान श्री अग्रसेन के नाम, उनके सिद्धांतो आदर्शों का प्रचार-प्रसार हो। इसलिए सम्मेलन द्वारा प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की एकम् तिथि को भगवान अग्रसेन जी की महाआरती आयोजित करने की परम्परा प्रारम्भ की गई है। आज देश में अनेक स्थानों पर नियमित रूप से भगवान अग्रसेन की प्रतिमाओं के सामने प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की एकम तिथि को भगवान अग्रसेन की महाआरती का सायं के समय आयोजन एवं प्रसाद वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि शीघ्रतापूर्वक यह परम्परा प्रत्येक शहर में कम से कम एक स्थान पर अवश्य प्रारम्भ कर दी जाए एवं इसे ज्यादा से ज्यादा स्थानों पर शुरू करने का भी प्रयास किया जाए। इससे निश्चित रूप से अग्रबंधुओं के घर में सुख-शांति एवं समृद्धि का आगमन होगा एवं समाज में भी प्रेम एवं सद्भावना का वातावरण विकसित होगा। इसी माध्यम से हमारी युवा पीढ़ी को भी बार-बार भगवान अग्रसेन के जीवन एवं चरित्र के बारे मे जानने एवं सुनने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
सम्मेलन द्वारा अपने कार्यक्रमों के माध्यम से जहाँ समाज मे भगवान अग्रसेन के जीवन चरित्र को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है वहीं समाज में राष्ट्रीयता एवं देशभक्ति की भावना के प्रचार-प्रसार में भी बढ़-चढ़ कर योगदान दिया जा रहा है। सम्मेलन द्वारा बाढ़, तूफान, भूकम्प, युद्ध आदि प्रत्येक आपदा में आगे बढ़ कर भरपूर सहयोग दिया गया। लातूर, उत्तराखंड एंव भुज के भूकम्प के समय कारगिल युद्ध के समय, उत्तराखंड में आई भयानक बाढ़ के समय अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन द्वारा तत्काल न केवल राहत सामग्री पहुंचाई गई वरन् सम्बन्धित क्षेत्रों में जाकर सेवा कार्यों की देख रेख भी की गई।
सम्मेलन के प्रयासों से 2013 में रामलीला मैदान में विशाल व्यापारी रेली का आयोजन किया गया जिसमे देश के कोने-कोने से उद्योगपति एवं व्यापारी बंधु सम्मिलित हुए। इस रेली में ही अखिल भारतीय उद्योग व्यापार सुरक्षा मंच का गठन करने की घोषणा की गई। इस मंच द्वारा केन्द्र एवं राज्य सरकारों के समक्ष उद्योग एवं व्यापार जगत से जुड़ी हुई समस्याओं को उठाकर समाधान प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। मंच की ईकाइयां विभिन्न राज्यों में भी गठित कर दी गई है एवं धीरे-धीरे इनका विस्तार जिला स्तर पर करने का प्रयास जारी है। मंच के प्रयासों से हरियाणा सरकार द्वारा व्यापारी कल्याण बोर्ड का गठन कर दिया गया है जिसका चेयरमैन सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गोपाल शरण गर्ग को मनोनीत किया गया है। मंच द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि प्रत्येक राज्य हरियाणा की तर्ज पर व्यापारी कल्याण बोर्ड का गठन करे एवं केन्द्र में व्यापारी कल्याण आयोग का गठन हो। इससे व्यापारियों को अपनी समस्याएं रखने का उचित मंच प्राप्त हो सकेगा। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान में व्यापारी कल्याण बोर्ड के गठन की प्रक्रिया प्रारम्भ भी हो चुकी है। मंच का प्रयास है कि सरकार उन व्यापारियों को 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन प्रदान करे जिनके द्वारा उसे करोड़ो रूपये का कर जमा करवाया गया है। मंच का प्रयास है कि सरकारें व्यापारियों को कर चुराने वाला समझने की बजाय देशहित में कर एकत्र करने में सहयोग करने वाले व्यक्ति के रूप में सम्मान प्रदान करें एंव दुर्भाग्य से उसकी दुकान, गोदाम और फैक्ट्री में आग लगने पर, दंगे मे दुकान आदि लुटने पर, बाढ़ का पानी दुकान आदि में घुसने पर और चोरी व डकैती होने पर व्यापारियों को सरकार द्वारा मुआवजा मिले। सरकारें एक पारदर्शी कर प्रणाली भी विकसित करें।
अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन द्वारा अपनी रजतजयंती वर्ष 2000 में मनाई गई। रजत जंयती समारोहों का शुभारम्भ सप्रूहाउस नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के साथ किया गया एवं समापन नई दिल्ली के ही इंदिरागांधी स्टेडियम में आयोजित विशाल अग्रमहाकुम्भ के साथ किया गया। वर्ष 2025 में सम्मेलन द्वारा अपनी स्वर्णजंयती भव्य रूप से मनाने की योजना है। इस अवसर पर हमे संकल्प करना चाहिए कि हम सभी बन्धु मिलकर सम्मेलन के सदस्यों की संख्या 50 लाख का लक्ष्य अवश्य प्राप्त कर लेंगे। जिसके लिए हम सभी को निरन्तर प्रयासरत रहना होगा। 10 करोड़ की आबादी वाले अग्रबंधुओं मे से 50 लाख सदस्य बनाना कठिन तो है लेकिन असंभव नहीं है। जिस दिन सम्मेलन की सदस्य संख्या 50 लाख पहुंच जाएगी उस दिन अग्रवाल समाज एंव भगवान अग्रसेन के गौरव एवं सम्मान में चार चांद लग जांएगे एवं हम सभी इस महान संस्था का सदस्य होने पर अपने आपको गौरवान्वित अनुभव करेंगे। जय भगवान श्री अग्रसेन जी, आइये आज से ही हम सभी बंधु अपने लक्ष्यों की प्राप्ति एवं सम्मेलन के स्वर्णजयंती वर्ष की तैयारियों में जुट जायंे एवं सम्मेलन को शक्तिशाली बनाने में तन मन धन से सहयोग करें।